Thursday 6 September 2018

निजता के अधिकार पर प्रहार/ वरवरा राव


निजता के अधिकार पर प्रहार

यह पोस्ट वरवरा राव के दामाद के. सत्यनारायण के संबंध में मेरी पिछली टिप्पणी का पूरक है. 28 अगस्त को 8.30 बजे सुबह माहाराष्ट्र और तेलंगाना की पुलिस के. सत्यनारायण के घर में घुसकर यह कहते हुए लगभग आठ घंटे तक जमी रहती है कि उनके पास सर्च-वारंट है. वारंट मराठी में है जिसे वे पढ़ना नहीं जानते. पुलिस उनसे और उनकी पत्नी पावना से पूछ-ताछ करती है. इस बीच तलाशी भी चलती रहती है. वह उनके बेडरूम से पति-पत्नी द्वारा एक दूसरे को लिखे गए प्रेम-पत्र खोज कर के लाती है और तेलांगाना पुलिस उन प्रेम-पत्रों को सभी लोगों के सामने अनुवाद करते हुए जोर-जोर से पढ़ती है, ताकि महाराष्ट्र पुलिस समझ सके. इसके अलावा, पुलिस उन्हें आदेश देती है कि वाशरूम को खुला रखा जाय और उन्हें अगर कपड़े भी बदलना हो तो उनके सामने ही बदलें. उन्हें घर से बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता. शाम को 5 बजे जब के. एस. अंतत: एक मराठी अनुवादक की मदद लेते हैं तो ज्ञात होता है कि सर्च-वारंट उनसे संबधित नहीं है. उसमें बस इतना लिखा है कि उनके ससुर वरवरा राव, जिन्हें पुलिस की दूसरी टीम पहले ही उनके घर जाकर अरेस्ट कर चुकी है, उनके (दामाद के) साथ रहते हैं.
 इन सूचनाओं के साथ इस विषय से संबंधित और भी बहुत कुछ आपको आज (6 सितंबर) के द हिंदू अखबार में बीच वाले पेज पर कल्पना कन्नबिरन (Kalpana Kannabiran) के लेख ‘An Assault on the Right to Privacy’  में मिल सकता है. इस के साथ ही आप दलित शब्द पर हुए विवाद से संबंधित खुद के. सत्यनारायण द्वारा लिखा गया आलेख  ‘Will You Tell Who I Am’ भी आज के द इंडियन एक्सप्रेस के संपादकीय पेज के बाद वाले पेज पर पढ़ सकते हैं.